एक बार फितूर सर पर सवार होने के बाद कहा उतरता है। वयस्क बच्चे यह भूल जाते हैं कि माता-पिता की बातें सिर्फ शब्द नहीं हैं, बल्कि उनके जीवन का अनुभव भी है। समीर ने इनकार करते हुए कहा, “अब पहले जैसा जमाना नहीं है, आप लोग इतना क्यों सोच रहे हो, मोबाइल है और वीडियो कॉल भी है।” मैं भी हर दिन आपको दूर बैठा दिखाई दूंगा।
समीर ने इनकार कर दिया और शहर में एक छोटी सी सरकारी नौकरी करने लगा। 8 से 10 घंटे काम करने पर उसे 15 हजार रुपये मिलते थे। माता पिता को बताया गया था कि वह काम करने लगा था। पिताजी ने फिर कहा, बेटा, हमें तुम्हारी याद आती है तो घर आ जाओ। समीर ने शहर में रहना चाहा। आंखें भर आएगी ये कहानी सुनकर
समीर की मा भी परेशान थी, लेकिन उसके पिता ने उनसे कहा कि उसे अपने मन की बात करने दो, वह कुछ दिनों में वापस आ जाएगा और हमारे अनुभव से चलेगा। उसे अपना अनुभव भी तैयार करने देना चाहिए। घर में, जहां मैं अपनी मर्जी से काम करता था, उसे किसी का भी नहीं सुनना पड़ा।
पिताजी ने कहा कि तीन दिन पहले तुम्हारी मा का पैर टूट गया था। समीर ने कहा, “मा अब ठीक है,” पिताजी ने कहा, ‘प्लास्टर चढ़ा है।’ समीर ने कहा कि पापा, मुझे अभी छुट्टी नहीं मिल सकती, इसलिए आप वीडियो कॉल से बात करवा दें। गाव में ठीक से नेटवर्क नहीं होने के कारण वीडियो कभी-कभी रूकता है, कभी-कभी दिखाई देता है Short Emotional Story In Hindi
मा से बात करने के तीन दिन बाद ही समीर की तबियत खराब हो गई, जो गांव की ताजा हवा के आदि को शहर कहा जाएगा। काम पर भी नहीं गया, बस कमरे में बैठा हुआ था। घर से फोन आने पर अक्सर उसने उठाया, फिर उसकी आवाज ही मा को समझा सकती थी। तुम्हारा बेटा बीमार है क्या?”हां, मा, मुझे कुछ बुखार है।” “बेटा घर आजा थोड़े दिन आराम कर के वापस चले जाना”, मा ने फिर कहा। फिर समीर ने नहीं कहा। Short Emotional Story In Hindi
अगले दिन, समीर अपने कमरे में सोते हुए दरवाजा खटखटाने की आवाज से खोलता है। उसकी माँ और पापा दरवाजे पर थे, और समीर की मा का प्लास्टर अभी भी था। सहारे से चलती थी। समीर को विश्वास नहीं हुआ कि उसकी मा यहाँ आ जाएगी, जब वह इतनी पीड़ित थी।
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समीर ने अपने बेटे को बताया कि वे अधिक दबाव डालकर वापस ले जाना नहीं चाहते क्योंकि उन्होंने सोचा कि शायद इससे भी तुम्हें कुछ अनुभव मिलेगा। लेकिन कभी भी परेशान मत होना और हमेशा सब कुछ अपने माता पिता से बताना, और जब मन चाहे घर आ जाओ। आंखें भर आएगी ये कहानी सुनकर
आखिरकार, समीर ने इन सब से भी सीखा कि वह कितना भाग्यशाली है कि उसके पास ऐसे माता पिता है। साथ ही, वह काम करते रहने की जरूरत नहीं है; वह जब चाहे घर जा सकता है। अब उसने अपने माता-पिता से अधिक प्यार किया।
दोस्तों, हमारे माता-पिता हमारी चिंता कभी नहीं छोड़ते, चाहे हम उनसे कितना दूर रहें। इसलिए जब भी संभव हो, अपने माता-पिता से संपर्क बनाए रखें और उनकी देखभाल करें क्योंकि आप भी एक दिन बूढ़े होने वाले होंगे।
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नमस्ते दोस्तों मेरा नाम आर्यन यादव है और मुझे कहानियां लिखना औऱ पढ़ना बेहद पसंद है इसलिए मैं अपने आस-पास सभी की लाइफ से प्रेरित होकर कहानियां, लव स्टोरी, काल्पनिक कहानियां और असल ज़िंदगी पर कहानियां लिखता हूँ और इस hindisstory.in के माध्यम से आप तक अपनी कहानी को पहुंचाने की कोशिस करता हूँ। मेरी कहानियों को पढ़ने के लिए धन्यवाद।